रविवार, 16 अगस्त 2020

कहानी ................. "" ख्याल रखना ""

                                      कहानी ................. "" ख्याल रखना ""
 


     "" सर, आपसे मिलने के लिए एक बुजुर्ग से व्यक्ति काफी देर से खड़े है वे ..," " मुझे बहुत काम है, मना कर दो"।" सर, मैने ये सब कहा था ,परन्तु वे आपसे मिलने की जिद पर एडे हैं ,कहते हैं कि वे बहुत दूर चंदेरी शहर से आए हैं,साथ ही कह रहे हैं कि वे आपके अध्यापक रहे हैं "। "" क्या ,मेरे अध्यापक ,अच्छा तो अंदर भेज दो ,रुको रुको मेरे अध्यापक रहें हैं तो मै खुद ही उनके पास जाता हूं" ।
         यह कह कर एस पी पुलिस महेश उठ खड़े हुए ।तेज कदमों से जैसे ही वे मुलाकतियों के कमरे में पहुंचे तो चौंक पड़े।उनको देखते ही महेश उनके चरणों को स्पर्श करने के लिए झुक गए ।चरण छूने के कुछ ही क्षणों में जैसे वे समय के पुराने दौर में ,अपने छात्र जीवन के दौर में पहुंच गए।
     स्कूली शिक्षा के समय उसकी एक ही आकांक्षा थी पुलिस में इंस्पेक्टर बनने की।कहते हैं ना कि अगर लगन सच्ची हो तो ऊपर वाला भी किसी ना किसी रूप में मदद करता है और ये मदद उसे इन्हीं अध्यापक के रूप में मिली थी।इन्हीं अध्यापक जी ने महेश में छुपी प्रतिभा और लगन को पहचान लिया था।उन्हीं की सहायता से महेश एक एक कर के राह में पड़ने वाली तमाम बाधाओं को पार करते हुए अपने दिव्य स्वप्न की पूर्ति में 
सफल हुआ था ।
         आज महेश इन्हीं अध्यापक की सहायता से पुलिस के एस पी पद तक जा पहुंचा था।महेश ने अति आदर के साथ अपने अध्यापक जिन्हें वो आदर के साथ गुरुजी कहता था को अपने चेंबर में बिठाया ,अपने सहायकों को आदेश दिया कि अब जो भी मिलने आए उसे कल का समय दे दे,साथ ही उसने अपने विशेष सहायक को बुलवाया और उसे नाश्ते आदि के लिए कहा तो मास्टर साहब ने रोक दिया।महेश के अधिक आग्रह पर कहा कि मुझे शुगर हो गई है इस लिए खाने पीने में सावधानी रखनी पड़ती है,फिर भी महेश के बहुत कहने पर उन्होंने थोड़ी सी नमकीन और फीकी चाय ही स्वीकार की।
     दोनों बातों में इतने खो गए कि उन्हें समय का याद ही नहीं रहा।अचानक गुरुजी ने घड़ी देखी ,बोले ,अरे इतना समय कब बीत गया पता ही नहीं चला,मुझे अभी सात घंटों की यात्रा करनी है चंदेरी तक।" लेकिन गुरुजी " महेश बोला " हो सके तो आज मेरे पास ही रुकिएगा , कैसे भी आपकी गुरु दक्षिणा चुकानी है " । गुरुजी हल्के से मुस्कुराए,महेश के सिर पर हाथ फेरा ,बोले " तुम जिस पद पर बैठे हो ,उस पद के अनुसार ही लोगों की सुनते रहना ,शब्दों के जाल में नहीं आते हुए दिल की भी सुनना ,तुम्हे ढेर सारी दुआएं मिलेगी ,साथ ही मेरी गुरु दक्षिण भी  चुकती रहेगी " । महेश अवाक से अपने गुरु के चरणों में झुक गए।
      महेश ने तुरंत अपने पी ए को बुलाया और कुछ उसके कान में कुछ कहा ।थोड़ी ही देर में पुलिस की एक जीप सामने आ खड़ी हुई।अब महेश ने गुरुज से कहा कि आपको ये जीप झांसी तक छोड़ आएगी,उसके आगे ... तभी गुरुजी ने कहा " नहीं ,महेश ,नहीं, मै बस से ही आया हूं और बस से ही जाऊंगा।यहां से सीधी झांसी तक बस मिल जाएगी ,झांसी से चंदेरी तक खूब बसें चलती है ," जाने गुरुजी की बातों में क्या असर था कि महेश ने कहा कि ठीक है बस स्टैंड तक आपको ये जीप छोड़ देगी ।महेश ने पुनः एक बार अपने गुरु के पैर छुए और उन्हें तब तक देखता रहा जब तक कि जीप आंखों से ओझल नहीं हो गई।
      बस स्टैंड पर झांसी की बस तैयार खड़ी थी।गुरुजी उसमे चढ़ कर अपने लिए नियत सीट पर बैठ गए।उन्होंने इस बात पर जरा भी गौर नहीं किया कि उनके साथ जीप में सवार दो बंदूक धारी पुलिस वाले भी उनके पीछे वाली सीट पर ही बैठ गए हैं।
      कुछ ही देर में बस चल दी।बस शहर से हाई वे पर दौड़ रही थी।लगभग एक घंटे की यात्रा हो चुकी थी,तभी अचानक गुरुजी ने अपनी सीट से उठ कर कंडक्टर के पास जा कर उसके कान में कुछ कहा।उसने तुरंत सीटी बजा कर बस को रुकवा दिया ।गुरुजी नीचे उतरे और एक ओर ओट में हो गए।उनके पीछे बैठे दोनों सिपाही बेचैन हो उठे ।वे अभी कुछ सोच ही रहे थे कि गुरुजी वापस आ कर अपनी सीट पर बैठ गए। बस पुनः चल पड़ी।
          इसी तरह और एक घंटे के करीब सफर चल रहा था कि गुरुजी सीट से उठे ,कंडक्टर से कुछ कहा ,उसने बस फिर रुकवाई ,गुरुजी नीचे उतरे , और ओट में हो गए ।अब तो सिपाहियों की बेचैनी और उत्सुकता ऑर बढ़ गई। शायद उनकी पुलिसिया बुद्धि जागने लगी थी। उन्हें गुरुजी 
के साथ झांसी तक रहने को कहा गया था,साथ ही झांसी से चंदेरी तक गुरुजी की बस यात्रा के लिए भी उस जिले की पुलिस के सिपाहियों का इंतजाम करने को कहा गया था।अब ये पुलिस वाले बेचैन होने लगे थे।आखिर क्यों ये बुजुर्ग सा यात्री, हाई वे पर बार बार क्यों बस रुकवा रहा है ।वे दोनों अपनी सीट से खड़े हो गए और जैसे ही बस से नीचे उतरने ही वाले थे कि उन्हें वो बुजुर्ग वापस बस की तरफ आते दिखाई दे गए।पुलिस वाले चुपचाप वापस अपनी सीट पर जा बैठे।उनके सामने गुरुजी भी आ बैठे , और बस पुनः झांसी की ओर चल दी।
      वे दोनों पुलिस वाले पूरी तन्मयता से गुरुजी पर निगाहें टिकाए हुए थे।लगभग एक घंटे की यात्रा के पश्चात जैसे ही झांसी शहर आने ही वाला था कि गुरुजी फिर उठ खड़े हुए और कंडेक्टर के कान में कुछ बोले ,परन्तु अबकी बार कंडैक्टर ने इनकार में सिर हिलाया।गुरुजी वापस अपनी सीट पर आ बैठे।अब तो मानो पुलिस वालों का धैर्य जवाब देने लगा।उन्हें गुरुजी की हरकतों पर शक होने लगा, उनमें से एक पुलिस वाला खड़ा हो गया और गुरुजी कि ओर बढ़ा ही था कि कांडेक्टर ने जोर से बस यात्रियों को संबोधन किया "" झांसी  का सिपिया बाजार आने वाला है ,जिन यात्रियों को झांसी रेलवे स्टेशन जाना है वे यही उतर जाएं,इसके बाद बस केवल झांसी बस स्टैंड पर ही रुकेगी।ये सुनकर खड़ा पुलिस वाला अपनी सीट पर लौट आया। आगे बस रुकी ,कुछ यात्री उतरे ,बस फिर चल दी।
     थोड़ी देर बाद शहर के विभिन्न हिस्सों से गुजरती बस आखिरकार झांसी बस स्टैंड आ पहुंची।पुलिस वालों की नजरे जो कि पहले ही से गुरुजी पर टिकी थी ,उन्होंने देखा कि बस के रुकने से पहले ही गुरुजी अपनी सीट से उठ कर बस के गेट तक जा पहुंचे थे, और बस के पूरी तरह रुकने से पहले ही वे गेट खोल कर उतर कर तेजी से एक ओर की तरफ लगभग दौड़ से पड़े।अब तो पुलिस वालों का धैर्य समाप्त हो चुका था ।उनका शक विश्वास में बदल गया था कि इस बुजुर्ग की गतिविधि  संदिग्ध है ,वे भी लपक कर गुरुजी का पीछा करने के लिए उतरने के लिए गेट तक पहुंचने के लिए खड़े हो गए परन्तु तब तक उनसे पहले उतरने वालों कि भीड़ गेट पर जमा हो गई थी,इस लिए जब तक वे नीचे उतरे, गुरुजी उनकी आंखों से ओझल हो चुके थे।
    दोनों पुलिस वाले बेचैनी से इधर उधर गुरुजी को ढूंढ ही रहे थे कि उन्होंने देखा कि वे बुजुर्ग आदमी चंदेरी जाने वाली बस में सवार हो रहें है।अब आगे क्या करें ,वे अभी सोच ही रहे थे कि उन्हें अचानक दो अन्य पुलिस वाले नजर आए।वे भी चंदेरी की बस के बाहर खड़े थे।पहले वाले पुलिस वाले सीधे उनके पास पहुंचे और उन्हें एक कोने में ले गए।
      "" देखो , हम आगरा पुलिस के हैं, और आगरा से आए हैं।हमे हमारे कोतवाल साहब ने जल्दी में बुलवाया था और कहा था कि झांसी जाने वाली बस से एक बुजुर्ग जिनका हुलिया उन्होंने हमे बताया था ,को आगरा बस स्टैंड पर धूंडना है और वे बुजुर्ग झांसी होते हुए चंदेरी जाएंगे तो झांसी तक तुम्हे उनके साथ जाना है परन्तु उन बुजुर्ग को ये बिल्कुल आभास नहीं होना चाहिए कि तुम उनके साथ हो।अब जल्दी से आगरा बस स्टैंड जाओ और बुजुर्ग का पूरा ख्याल रखो।ये ऑर्डर सीधे एस पी साहिब के आफिस से आया है ।हमे अब कोई शक की गुंजाइश नहीं है कि इन बुजुर्ग के साथ कुछ गड़बड़ है क्योंकि ये रास्ते में दो बार बस रुकवाकर नीचे उतरे थे ,फिर कुछ मिनटों के बाद आए थे।उतरते समय वे कुछ व्यग्र से लगते थे ।इस लिए हम आपसे कह रहें हैं कि इन बुजुर्ग पर अपनी नजरें जमाए रखना और उनका पूरा ख्याल रखना।इतने में चंदेरी जाने वाली बस के कंडक्टर ने बस चलाने के लिए सिटी बजा दी तो वे दोनों नए पुलिस वाले दौड़ कर उस बस में चढ़ गए।


       चंदेरी की ओर घुमावदार रास्तों से बस हिचकोले खाते चल रही थी ,शाम का धुंधला पन गहरे अंधेरे में डूबने को जैसे व्यग्र लग रहा था।अधिकांश सवारियां रास्ते के चारों ओर फैली हरियाली का  आनंद ले ही रही थी कि अचानक गुरुजी अपनी सीट से उठे और कंडक्टर के पास जा कर उसके कान में कुछ बोले कि उसने बस रुकवाने के लिए सिटी बजा दी।तुरंत गेट खोल कर गुरुजी नीचे उतरे और शाम के गहराते अंधेरे की ओट में खो गए।बस में बैठे पुलिस वालों के कानों में झांसी के पुलिस वालों की आशंका गूंजने लगी।उन्होंने तुरंत वाकी ताकी से अपने अधिकारी से संपर्क किया धीरे धीरे उन्हें अपना शक जाहिर कर दिया।बस के अंदर मौजूद पुलिस वालों की नजरे ओट में गायब बुजुर्ग के रास्ते पर लगी हुई थी , कि तभी वे बुजुर्ग बस की ओर वापस आते दिखाई दिए।बस एक बार फिर चंदेरी शहर की ओर चल दी।बस अभी कुछ ही किलोमीटर गई होगी कि बस के चालक को सामने पुलिस की चमकती रोशनी वाली तीन चार गाडियां नजर आईं।सड़क पर इन पुलिस की गाड़ियों ने अवरोध डाल कर बस को रोकने का संकेत दिया।जैसे ही बस रुकी ,पुलिस की गाड़ियों मै सवार पुलिस वालों ने तुरंत बस को चारों ओर से घेर लिया।उनके हाथों में हथियार किसी भी कार्यवाही को जैसे तैयार थे ।इधर बस के रुकते ही बस में बैठे पुलिस वालों ने तुरंत ही अपने हथियार बुजुर्ग की गर्दन पर तान दिए।चालक,कंडक्टर सहित सभी सवारियों को तो जैसे सांप सूंघ गया।शायद उन्हें,  टी वी और अखबारों में छाई आतंक वादियों की खबरें याद आने लगी।


     हक्के बक्के गुरुजी कुछ समझ पाते कि बस के गेट से हथियार चमकाते पुलिस वालों ने गुरुजी को घेर लिया और घसीटते से नीचे उतार लिया।वे अभी कुछ कहते की उनके हाथ हथकड़ियों से जकड़ दिए गए ,एक काला कपड़ा उनके मुंह पर डाल दिया और जीप में लाद कर ,जितनी तेजी से आए थे ,उतनी ही तेजी से चले गए।
       अगली सुबह जब गुरुजी के मुंह से कपड़ा निकाला गया तो उन्हें उजाले में आंखे खोलने में समय लगा।उन्होंने देखा कि वे एक गहरे रंग के कमरे में हैं और उनके सामने मेज कुर्सी पर एक सूट बुटेड अधिकारी सा बेठा है।कमरे के चारों ओर हथियारों से लैस पुलिस वाले तैनात खड़े है।
        गुरुजी को बहुत देर तक तो समझ ही नहीं आ रहा था कि ये सब क्यों और कैसे हो रहा है।सामने वाला उन की ओर गहरी नजर से गौर से काफी देर तक उनकी ओर देखता रहा ,परन्तु वे तो सदमे जैसी स्थिति में थे।
        आखिर कार कुछ समय बाद सामने बैठे अधिकारी ने अपनी आंखे बंद की , और एक लंबी सांस लेकर शान्ति की मुद्रा बना ली।शायद उसे समझ आ गया था कि सामने बैठा व्यक्ति इस तनाव भरे माहौल से दहशत में है।उसे अपनी ट्रेनिंग का एक पाठ याद आ गया होगा कि कभी कभी अपराधी भी ऐसे माहौल में तनाव के कारण अपने होश खो बैठता है।उसने अपने आसपास खड़े हथियारबंद पुलिस वालों को कमरे से बाहर जाने का इशारा किया तो वे सब क्षण भर में कमरे से ओझल हो गए।
     इस गहरी निस्तब्धता में  थोड़ा समय और बीता।गुरुजी के पीले पड़े चेहरे पर स्पष्ट नजर आ रहा था कि बीते कितने ही घण्टे उन्होंने घोर पीड़ा में बिताए होंगे।वे लगभग निढाल से थे और कुर्सी पर नहीं बेठे होते तो गिर ही पड़ने की स्थिति में थे।
       तभी सामने बैठे अधिकारी ने उन्हें पानी से भरा गिलास दिया ,गुरुजी ने कंपकपाते हाथों से लगभग झपटते से, गिलास को होठों से लगा लिया।निसंदेह देर से प्यासे उनके शरीर को बहुत ताकत सी प्रतीत हुई।लगा जैसे उनके अन्दर कुछ ताकत सी आई।उनकी आंखे अब पूरी तरह खुल गई ,उनके सूखे होंठ कुछ नरम से हुए ,तभी बेकरारी से उनके मुंह से निकला " बाथरूम किधर है ,मुझे म
टॉयलेट करना है।देर से शांत बैठे अधिकारी ने उन्हें गौर से देखते हुए कमरे के एक कोने की ओर संकेत किया ,मगर उधर तो कोई बाथरूम था ही नहीं।अब तक पूरी तरह सदमे से उबरते गुरुजी ने जोर से कहा ,मुझे बाथरूम जाना है वो किधर है बताओ।कुछ क्षण सोचने के बाद आखिर कार उस अधिकारी ने एक दूर खड़े पुलिस वाले को बुलाया और उसे गुरुजी को बाथरूम ले जाने का आदेश दिया।हैरान सा पुलिस वाला चुपचाप गुरुजी को ले कर कमरे से बाहर चला गया।
    थोड़ी देर बाद जब गुरुजी लौट कर आए तो जैसे वे पूरी तरह चैतन्य हो चुके थे।इससे पहले कि कमरे में बैठा अधिकार उन्हें कुछ कहता ,वे चीखते हुए बोले " ये सब क्या हो रहा है ,मुझे क्यों पकड़ रखा है ।"" अधिकारी जो उनके ,चेहरे के भावों,उम्र ,वेशभूषा से किसी गहरी सोच में डूब हुआ था,उसने बड़े ही धीमे परन्तु नरम स्वर में गुरुजी से उनका परिचय पूछा ।प्रथम बार उनसे किसी पुलिस वाले ने सामान्य स्वर में बात की थी। उसके सामने बैठे गुरुजी जैसे अपने मनोभाव रोक नहीं पाए।"" क्या मै कोई चोर डाकू हूं,क्या मै एक आतंकवादी हूं ? अरे मेरा कोई तो विश्वास करो, मै चंदेरी के सरकारी इण्टर कालेज से रिटायर प्रिंसिपल हूं। मै तो अपने एक पुराने शिष्य जो कि आजकल मथुरा के एस पी हैं ,उनसे मिलने गया था "।
     सामने बैठा अधिकारी पर जैसे बिजली सी गिरी " क्या कहा तुमने वो एस पी आपका शिष्य है ," जी हां ,वे मेरे ही शिष्य रहे हैं ! अब तो अधिकारी समेत सारे पुलिस वालों को तो जैसे सांप सूंघ गया था।
     अधिकारी ने तुरंत उन पुलिस वालों को बुलवाया जिनकी सूचना पर गुरुजी को रास्ते में ही पकड़ा गया था।
   सर ,हम तो झांसी बस स्टैंड पर रोज की तरह चंदेरी जाने वाली बस पर सुरक्षा के लिए जाते थे ।हमें तो मथुरा से आनेवाली बस से उतरे दो पुलिस वालों ने कहा था कि ये जो बुजुर्ग सा चंदेरी जाने वाली बस पर सवार हो रहा है ,उस पर नजर रखना क्योंकि उन्हें कोतवाली से सी ओ साहब ने अर्जेंट बुलवाया था और कहा था कि तुम्हे मथुरा बस स्टैंड पर झांसी जाने वाली बस पर सवार होने वाले इस बुजुर्ग का विशेष  ख्याल रखना है ,ये आदेश स्वयं एस पी साहब ने दिया है ,परन्तु ये भी कहा कि इन बुजुर्ग को तुम्हारे ऊपर जरा सा भी शक नहीं होना चाहिए कि तुम उनके साथ जा रहे हो।उनके आदेश से ही वे दोनो पुलिस वाले झांसी तक उन के साथ ही आए थे ।उन्होंने ये भी बताया था कि ये बुजुर्ग प्रायः हर घण्टे ढेड घण्टे पर बस रुकवाते और नीचे उतार कर ओट में चले जाते ।जब तक वे कोई कार्यवाही करते बस झांसी पहुंच गई थी , और ये बुजुर्ग तुरंत ही चंदेरी जाने वाली बस में बैठ गए। सर ,उनके कहे अनुसार ही हमने भी इन बुजुर्ग पर नजर रखीं और रास्ते में अंधेरा होने पर जब ये दूसरी बार बस रुकवाकर नीचे उतरे तो हमे इनकी संदिग्ध गतिविधि पर पूरा शक एवम् विश्वास हो गया तो हमने उच्च अधिकारियों को सूचित कर दिया।बाकी तो आप सब जानते ही है।
      ये सब सुन कर तो जैसे अधिकारी को सारा मांजरा समझ आ गया ।फिर भी पूरी तसल्ली के लिए उन्होंने सीधे मथुरा के एस पी को फोन लगाया और उनसे जो सुना तो जैसे उसके होश ही उड़ गए।हालांकि उसने एस पी महोदय को इतना ही बताया कि जो पुलिस वाले ,मथुरा पुलिस के कहने पर उन गुरुजी का विशेष ख्याल रखने के लिए चंदेरी तक आए थे ,उसे कंफर्म करने के लिए ही ये फोन किया था। और जब एस पी ने ये कहा कि वे उसके गुरुजी रहें हैं एवम् उनके है मार्गदर्शन के कारण वे इस पद तक पहुंचे है तो जैसे उस अधिकारी की आंखों के सामने अंधेरा सा छा गया।उन्होंने उन्हें धन्यवाद देते हुए अंत में उनसे इतना ही कहा वे गुरुजी ठीक से घर पहुंच गए हैं !
        पूरे विभाग में मचे हड़कंप के बाद पूरे पुलिस विभाग ने, बड़ी ही मुश्किल से उन गुरुजी को खयाल रखने और विशेष ख्याल रखने के बीच हुए अंतर के लिए अनेकों बार क्षमा प्रार्थना की ,तब जाकर उन सीधे साधे गुरुजी ने गुरु होने के नाते जो गलतफहमिया
 हुईं उनके लिए उन्हें क्षमा कर दिया,साथ ही बताया कि शुगर के मरीज होने के कारण उन्हें हर घण्टे ,ढेड़ घण्टे बाद मूत्र विसर्जन हेतु जाना पड़ता था ,इसी लिए यात्रा के दौरान वे बस रुकवाते थे।
     अब उस अधिकारी ने तुरंत गुरुजी के घर तक पहुंचने के लिए अपनी कार के चालक को बुलाया और गुरुजी से आग्रह किया कि अगर उन्होंने कल से घटी सारे घटना क्रम के लिए उन्हें क्षमा कर दिया है तो वे उन्हें कार से घर पहुंचने के लिए सेवा का अवसर जरूर दे।
     गुरुजी उनके आग्रह को टाल नहीं सके तो वे इस पेशकश के लिए तैयार हो गए ।स्वयं वो अधिकार उन्हें बाहर खड़ी अपनी कार तक बेठाने  आया ।गुरुजी उसमे जैसे ही बेठे तो अधिकारी ने अपने चालक से कहा कि इन्हें इनके घर तक पहुंचाकर आए , और जैसे ही कहा कि "" इनका विशेष ख्याल रखना " गुरुजी जोर से चौंक गए परन्तु तभी अधिकारी को भी अपने कहे शब्दों का ध्यान गया,उसकी इस बात पर गुरुजी जोर से बोल उठे "बस बहुत हुआ विशेष ख्याल ,मुझे तो नॉर्मल ही जाने दो ," और मुस्कुराते हुए चालक को चलने के लिए कहा। 
   अधिकारी ही नहीं लगभग सारा पुलिस थाना उन्हें जाते हुए जब तक देखता रहा जब तक कि उनकी कार आंखो से ओझल नहीं हो गईं ।